HASDEO FOREST – लोगों के विरोध के बावजूद हज़ारों की संख्या में कटे हसदेव के पेड़ …..आंदोलनकारियों ने कही ये बड़ी बात।
HASDEO FOREST – कोरबा से सरगुजा, झारखंड और ओडिशा की सीमा तक फैले हसदेव अरण्य को मध्य भारत का फेफड़ा कहा जाता है। क्योंकि प्रकृति और बायोडायवर्सिटी ही मानव जीवन के लिए सबसे जरूरी है।
ये विशाल वन क्षेत्र अपनी बायोडायवर्सिटी की वजह से मध्य भारत को जीवन प्रदान करने में सहायक होता है। इस क्षेत्र में सरकार ने कोल ब्लॉक का आवंटन कर दिया है। अब खदान खोलने के लिए इस क्षेत्र में पेड़ काटे जा रहे हैं। ग्रामीण के लगातार विरोध के बावजूद पेड़ काटे जा रहे हैं।
HASDEO FOREST – कई हज़ार कटे पेड़ –
दरअसल, जिले के उदयपुर क्षेत्र में परसा ईस्ट केते बासेन PEKB कोल खदान के लिए घाटबर्रा के पेंड्रा मार जंगल में तीन दिनों से पेड़ों की कटाई की जा रही है।
काफी जद्दोजहद के बाद आखिरकार पेड़ की कटाई खत्म की गई। घाटबर्रा के पेंड्रा मार जंगल में 91 हेक्टेयर के 15307 पेड़ों की हुई कटाई के बाद जंगल अब सपाट मैदान नजर आ रहा है।
HASDEO FOREST – यहां सैकड़ों की तादाद में पुलिस बल तैनात कर पुलिस और प्रशासन की ओर से पेड़ों की कटाई कराई जा रही है। चप्पे-चप्पे में पुलिस बल तैनात कर किसी भी ग्रामीण और बाहर के लोगों को जंगल की ओर नहीं जाने दिया गया।
HASDEO FOREST – लगातार आंदोलन जारी –
लगातार कोल खदान का विरोध करने वाले आंदोलनकारी को पुलिस ने दो दिन पहले उनके घरों से उठाकर अपने साथ रख लिया था। गुरुवार को देर शाम सभी को छोड़ा गया। हालांकि उन लोगों को धरना प्रदर्शन स्थल पर और पेड़ों की कटाई वाली जगह पर जाने की सख्त मनाही थी।
इन सब के बावजूद ग्राम हरिहरपुर में 2 मार्च 2022 से जल जंगल जमीन को बचाने संघर्ष कर रहे हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के लोग लगातार विरोध कर रहे हैं। साथ ही आदिवासी वर्ग के लोग इसका विरोध कर गांव में ही रैली निकाल रहे हैं।
इस वन खंड के पेड़ों को काटा गया, उसके वन अधिकार पत्र और मुआवजा के बारे में एसडीएम भागीरथी खांडे और तहसीलदार चंद्रशिला जायसवाल के पास ग्रामीणों ने अपनी बात भी रखी है।
HASDEO FOREST – राजनीतिक रूप –
पेड़ों की कटाई के बाद HASDEO FOREST का एक हिस्से में पूरा क्षेत्र वीरान नजर आ रहा है। चारों तरफ पेड़ गिरे हुए हैं। सभी काटे गए पेड़ों को डिपो तक पहुंचाने का काम वन अमला कर रहा है।
HASDEO FOREST – मामले में बड़ी बात यह है कि प्रदेश और देश में सरकार चाहे जिसकी भी हो, काम कोल खदान के पक्ष में ही करती है। भाजपा और कांग्रेस में से जो विपक्ष में होता है वो पेड़ काटने को गलत बताता है लेकिन सत्ता में आते ही वही राजनैतिक दल या तो पेड़ काटने का समर्थक हो जाता है। फिर मूक समर्थन के साथ शांत हो जाता है।
HASDEO FOREST – आंदोलनकारियों ने कही ये बड़ी बात –
प्रशासन का दावा है कि घाटबर्रा के पेंड्रा मार जंगल में 90 हेक्टेयर में तीन दिनों तक 15307 पेड़ काटे गए हैं। वहीं आंदोलनकारियो का कहना है कि वन विभाग वास्तविक आकड़ा छिपा रहा है। यहां इससे कई गुना अधिक पेड़ काटे गए हैं। बता दें कि पिछले साल भी माइंस के एक्सटेंशन के लिए 42 हेक्टेयर में लगे पेड़ काटे गए थे, तब भी विरोध हुआ था और कई लोगो के खिलाफ केस दर्ज हुआ था।
HASDEO FOREST – सोशल मीडिया पर भी विरोध –
कोल माइंस शुरू करने हसदेव के जंगलों में हजारों पेड़ों की कटाई के बाद HASDEO FOREST बचाने आंदोलन कर रहे पर्यावरण प्रेमियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक्स प्लेटफार्म पर हसदेव को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है। करीब 60 हजार लोगों ने हसदेव के जंगल को बचाने टवीट किया है। इसके साथ ही यह लगातार जारी है।