HASDEO FOREST – आखिर क्यों माना जाता है हसदेव अरण्य को छत्तीसगढ़ का हरित धरोहर ?… आइये जानते हैं सक्षम पाठक के विशेष लेख में।

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HASDEO FOREST – आखिर क्यों माना जाता है हसदेव अरण्य को छत्तीसगढ़ का हरित धरोहर ?… आइये जानते हैं सक्षम पाठक के विशेष लेख में।

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(विशेष लेख – सक्षम पाठक, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर)

हसदेव को छत्तीसगढ़ का हरित आभूषण माना जाता है:
हसदेव अरण्य एक विशाल और समृद्ध वन है जो छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित है। यहाँ की जैव विविधता से भरपूर यह जंगल राज्य की पर्यावरणीय धरोहर के रूप में माना जाता है। इस जंगल का प्राकृतिक सौंदर्य और संसाधन अद्वितीय हैं। हसदेव अरण्य का विस्तार मुख्य रूप से सरगुजा और कोरबा जिलों में है, जो भारत के प्रमुख वन क्षेत्रों में गिना जाता है। इस जंगल में वन्यजीवों के लिए ही नहीं, बल्कि यहाँ के आदिवासी समुदायों के जीवन के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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HASDEO FOREST – हसदेव अरण्य का भौगोलिक परिचय –

HASDEO FOREST

हसदेव अरण्य क्षेत्र में फैला हुआ है जो लगभग 1,70,000 हेक्टेयर का है। यह जंगल हसदेव नदी के नाम पर रखा गया है, जो महानदी की एक मुख्य सहायक नदी है। हसदेव अरण्य छत्तीसगढ़ के सबसे घने और पुराने जंगलों में से एक है, जो इसकी प्राकृतिक समृद्धि और जैव विविधता को दर्शाता है। यहां साल, सागौन, बांस और अन्य मूल्यवान पेड़ों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जो इस क्षेत्र की हरित संपदा को बढ़ाती है।हसदेव अरण्य विविधता और जीव-जंतु के लिए प्रसिद्ध है। इस जंगल में विभिन्न प्रकार की पौधे और जानवर पाए जाते हैं।

HASDEO FOREST – हसदेव अरण्य एशियाई हाथियों के लिए महत्वपूर्ण निवास स्थान –

यहां हाथी, बाघ, तेंदुआ, हिरण, भालू और विभिन्न पक्षी पाए जाते हैं। हसदेव अरण्य एशियाई हाथियों के लिए महत्वपूर्ण निवास स्थान है। ये हाथी दक्षिण छत्तीसगढ़ से लेकर झारखंड और उड़ीसा तक के इलाकों में घूमते हैं। इस क्षेत्र का पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्थानीय जलवायु और वनस्पति की सुरक्षा करता है।

HASDEO FOREST के आसपास रहने वाले अधिकांश लोग आदिवासी समुदायों से आते हैं जिन्हें जंगल पर पूरी तरह से निर्भर होता है। ये आदिवासी लोग अपने जीवन को खेती, वन उत्पादों और प्राकृतिक औषधियों पर आधारित बनाए रखते हैं। इनके लिए जंगल में उपलब्ध वन उत्पाद और प्राकृतिक औषधियां मुख्य आधार हैं। इस क्षेत्र के आदिवासी समुदायों का जंगल से अनेक सालों से गहरा संबंध है और इसे अपनी संस्कृति और परंपराओं का अहम हिस्सा माना जाता है।

HASDEO FOREST – खनन और विकास की चुनौतियां –

हालांकि हसदेव अरण्य प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है, लेकिन इस क्षेत्र को विकास और खनन गतिविधियों से भारी खतरा है। हसदेव अरण्य के नीचे कोयला भंडार की बड़ी मात्रा में उपलब्धता है, जिसके कारण इस क्षेत्र में खनन गतिविधियों का विस्तार हो रहा है। यह खनन न केवल जंगल को नष्ट कर रहा है, बल्कि यहां रहने वाले वन्यजीवों और आदिवासी समुदायों के जीवन को भी प्रभावित कर रहा है।सरकार और विभिन्न कंपनियों द्वारा खनन के लिए बड़े स्तर पर जंगल की कटाई की जा रही है, जिससे यहां की पारिस्थितिकी को गहरा नुकसान पहुंच रहा है।

HASDEO FOREST – खनन गतिविधियों से जलवायु परिवर्तन, जल संकट और भूमि कटाव जैसी बढ़ सकती है समस्याएं –

हसदेव अरण्य को खनन से बचाना जरूरी है, क्योंकि यह स्थानीय आदिवासी समुदायों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य और देश के पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण है, इस पर कई पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता जोर देते हैं। खनन गतिविधियों से जलवायु परिवर्तन, जल संकट और भूमि कटाव जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। हसदेव अरण्य में जैव विविधता और पर्यावरणीय महत्व को ध्यान में रखते हुए, इस क्षेत्र के संरक्षण के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।

HASDEO FOREST – हसदेव अरण्य के खनन के विरोध में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया आंदोलन –

स्थानीय आदिवासी समुदाय, पर्यावरण संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खनन के विरोध में आंदोलन किया है इस क्षेत्र में। उनका मानना है कि खनन से जंगल और वन्यजीवों को हानि होगी, जिससे आदिवासियों की आजीविका पर भी खतरा होगा। पर्यावरण संगठनों का कहना है कि हसदेव अरण्य को इस तरह का वन क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए जिससे वहां की जैव विविधता को सुरक्षित किया जा सके। सरकार ने भी वन के संरक्षण के लिए कई पहल की हैं जैसे कि पेड़ लगाने की पहल और पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के उपाय।

HASDEO FOREST – सरकार और न्यायालय की भूमिका –

हसदेव अरण्य को बचाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार और न्यायपालिका की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। कई बार इस क्षेत्र में खनन के खिलाफ याचिकाएं दायर की गई हैं और न्यायालयों ने भी कई मामलों में आदिवासी समुदायों और पर्यावरण संरक्षण के पक्ष में फैसले दिए हैं। हालांकि, विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि हसदेव अरण्य जैसे समृद्ध जंगल नष्ट न हों।हसदेव अरण्य न केवल छत्तीसगढ़ के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक अनमोल धरोहर है।

HASDEO FOREST – आदिवासी समुदायों की आजीविका का महत्वपूर्ण स्रोत –

यह जंगल पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने, जैव विविधता को संरक्षित करने और स्थानीय आदिवासी समुदायों की आजीविका का महत्वपूर्ण स्रोत है। खनन और विकास की चुनौतियों के बावजूद, हसदेव अरण्य का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। इस क्षेत्र को बचाने के लिए सरकार, सामाजिक संगठनों और स्थानीय समुदायों को एकजुट होकर काम करना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियों को यह हरित धरोहर विरासत के रूप में मिल सके। हसदेव अरण्य हमें यह बताता है कि प्रकृति के साथ मिलकर रहना ही वास्तविक विकास की दिशा है।

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