HASDEO FOREST – क्या लोकसभा चुनाव के बाद अब सरकार रोकेगी हसदेव अरण्य की कटाई ?
हसदेव अरण्य बीते कुछ सालों से काफी चर्चित मुद्दा रहा है। अरण्य कटाई के विरोध में आए लोगों द्वारा आंदोलन आज भी नही थम रहा। यह न केवल भाजपा सरकार बल्कि 2019 में छःग में आई 5 सालों के लिए कांग्रेस की शासन में भी कटाई हुआ। अब इसमे सबसे बड़ा सवाल आता है कि लोकसभा चुनाव के बाद अब फिर एनडीए की सरकार केंद्र में होगी, छःग में 10-1 से भाजपा का कब्जा हुआ है, तो क्या हसदेव अरण्य की कटाई रुकेगी ? क्या सरकार द्वारा इसपर कुछ अहम फैसला लिया जाएगा ?
HASDEO FOREST – 170, 000 हेक्टेयर में फैला है हसदेव अरण्य –
यह अरण्य कोरबा, सुरजपुर और सरगुज़ा जिले में 170,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है। हसदेव अरण्य की कटाई के लिए मंजूरी 2010 में तीन कोयला खदान के लिए दी गई थी। तीन खदानों में से एक, परसा ईस्ट केते बासन के पहले चरण का खनन, जिसमें से 2028 तक कोयले की आपूर्ति होनी थी, उसमें क्षमता से अधिक कोयला निकाला गया और 2021 में ही इस खदान का कोयला ख़त्म हो गया।
अब इस कोयला खदान के दूसरे चरण में खनन प्रक्रिया शुरु हो गई है। इसी तरह एक अन्य खदान परसा के लिए भी खनन की प्रक्रिया पर काम चालू है। तीसरी खदान, केते एक्सटेंशन को लेकर भी अनुमान है कि अगले कुछ महीनों में यहां भी कामकाज शुरु हो सकता है। छत्तीसगढ़ के आदिवासी 1878 वर्ग किलोमीटर में फैले हसदेव अरण्य के घने जंगल में कोयला खनन का विरोध पिछले एक दशक से कर रहे हैं लेकिन इन सारी आवाज़ों को हाशिये पर डाल दिया गया है। आदिवासी लोगों द्वारा कई दफा आंदोलन किया जा चुका परन्तु कुछ निष्कर्ष नही निकल पाया है।
का मुद्दा इस वर्ष के शुरुआती महीने में काफी चर्चा में रहा। आए दिन आदिवासी ग्रामीणों द्वारा विरोध जताया गया। कलेक्टर समेत अन्य अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा गया परन्तु सरकार के इशारे पर चल रहे इस कटाई को रोकना मुश्किल रहा।
– क्या लोकसभा चुनाव के बाद अब केंद्र सरकार उठाएगी कदम ?
लोकसभा चुनाव 2024 के बाद अब सवाल पैदा होता है कि जिस पार्टी के दिग्गज नेता केंद्र और राज्य दोनों में सरकार चला रहे हैं तो क्या हसदेव अरण्य की कटाई पर अब भी लगाम लगेगा या नही ? चुनाव होने से पूर्व वहां के लोगों से कुछ मीडिया पत्रकारों द्वारा बातचीत किया गया तो लोगों की आज भी हसदेव अरण्य कटाई को रोकने की ही मांग है। बहराल राज्य व केंद्र सरकार की ओर से इसपर कोई बयान नही दिया गया है औऱ न ही कोई कदम उठाया गया है। परन्तु लोग आज भी इसी उम्मीद में हैं कि हसदेव अरण्य के बचे हुए पेड़ों की कटाई को रोका जाए।