DIPADIH BALRAMPUR – आइये जानते हैं बलरामपुर जिले में स्थित प्राचीन स्थल “डीपाडीह” के बारे में।
DIPADIH BALRAMPUR – डीपाडीह बलरामपुर जिले में स्थित एक पुरातात्विक स्थल है। इस स्थल का महत्वपूर्ण इतिहासिक महत्व है, क्योंकि यहां 8वीं से 14वीं शताब्दी के शैव एवं शाक्य संप्रदाय के पुरातात्विक अवशेष पाए जाते हैं। यह स्थल अम्बिकापुर से कुसमी मार्ग पर 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिससे इसका पहुंचाव सामान्य नही है।
1986 में इस स्थल पर उत्खनन का कार्य शुरू हुआ था, जिससे वहां के ऐतिहासिक मूल्य की गहराई से खोजी गई। यहां के पुरातात्विक अवशेषों में मिलने वाले धातुओं, शिलालेखों, और अन्य वस्तुओं ने प्राचीन समाज की जीवनशैली और संस्कृति के बारे में बहुत कुछ बताया। इन खोजों ने हमें वहां के इतिहास और समाज के बारे में समझने में मदद की है।
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DIPADIH BALRAMPUR – एक ऐतिहासिक धरोहर का संग्रहालय भी है, जो वहां के पुरातात्विक आवश्यकताओं को समर्पित किया गया है। यहां के संग्रह में विभिन्न युगों से संग्रहित वस्तुएं और साक्ष्य हैं जो ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को बेहतर ढंग से समझने में मदद करते हैं। इस जगह का दौरा करना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से रोचक हो सकता है और लोगों को प्राचीनता के नजरिए से संवाद करने का अवसर दे सकता है।
DIPADIH BALRAMPUR – में मिलते हैं मंदिरों के प्रमाण –
DIPADIH BALRAMPUR – के आसपास अनेक शिव मंदिरो के प्रमाण मिलते है। यहां अनेक शिवलिंग, नदी तथा देवी दुर्गा की कलात्मक मूर्ति स्थित है। इस मंदिर के खंभों पर भगवान विष्णु, कुबेर, कार्तिकेय तथा अनेक देवी-देवताओं की कलात्मक मूर्तियां दर्शनीय हैं। देवी प्रतिमाओं में एक विशिष्ट मूर्ति महिषासुर मर्दिनी की है। देवी- चामुंडा की अनेक प्रतिमाएं हैं। उरांव टोला स्थित शिव मंदिर अत्यंत कलात्मक है। शिव मंदिर के जंघा बाह्य भित्तियों में सर्प, मयूर, बंदर, हंस एवं मैथुनी मूर्तियां उत्कीर्ण हैं।
सावंत सरना परिसर में पंचायन शैली में निर्मित शिव मंदिर है। इस मंदिर के भित्तियों पर आकर्षक ज्यामितिय अलंकरण हैं। मंदिर का प्रवेष द्वार गजभिषेकिय लक्ष्मी की प्रतिमा से सुशोभित है। उमा- महेश्वर की आलिंगरत प्रतिमा दर्शनीय है। इस स्थान पर रानी पोखरा, बोरजो टीला, सेमल टीला, आमा टीला आदि के कलात्मक भग्नावशेष दर्शनीय हैं। DIPADIH BALRAMPUR की मैथुनी मूर्तियां खजुराहो शैली की बनी हुयी है।
DIPADIH BALRAMPUR – सर्वे रिपोर्ट –
डीपाडीह में स्थित मंदिरों का सर्वे 1987 में किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप 1989 में मंदिर की खुदाई शुरू हुई। इस अद्भुत क्षेत्र में विभिन्न युगों और वंशों से संबंधित मंदिर मिले हैं, जो इसे एक सांस्कृतिक संग्रहालय बनाते हैं। इन मंदिरों से प्राप्त अवशेषों के माध्यम से इस क्षेत्र का ऐतिहासिक और कलात्मक महत्त्व प्रमाणित होता है। यहाँ के मंदिर विविध संस्कृतियों के प्रतीक हैं, जो इस स्थान की सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करते हैं।
डीपाडीह क्षेत्र में मिले अवशेष विभिन्न संप्रदायों की विविधता को दर्शाते हैं। इनमें से हर अवशेष अपनी कहानी संवाहक है, जो इस क्षेत्र के सांस्कृतिक समृद्धि और विविधता को प्रकट करता है।
इन मंदिरों और अवशेषों के माध्यम से हम अपने इतिहास और विरासत को समझते हैं, जो हमारे अतीत का आदान-प्रदान करते हैं और हमें हमारी सजीव सांस्कृतिक परंपराओं के प्रति गर्व महसूस कराते हैं। इन स्थलों की सुरक्षा और संरक्षण की जरूरत है ताकि हम आने वाली पीढ़ियों को इस महत्त्वपूर्ण धरोहर का लाभ उठाने का अवसर दे सकें।
DIPADIH BALRAMPUR – सुरक्षा की दृष्टि से –
मूर्तियों की सुरक्षा वास्तविकता में महत्वपूर्ण है। यह न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, बल्कि इनकी रक्षा भी हमारी जिम्मेदारी है। दुर्लभ मूर्तियों की चोरी की घटनाएँ बहुत दुखद हैं, और सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है। यहां की मूर्तियां असुरक्षित हैं यूं कहें तो कई बार चोरी भी हो चुकी हैं। सरकार को सुरक्षा के लिए कदम उठाने की जरूरत है, जैसे सुरक्षित मूर्तियों के लिए विशेष क्षेत्रों की तैयारी, CCTV कैमरों की लगावट और सुरक्षा बलों की तैनाती। स्थानीय अधिकारियों और सुरक्षा एजेंसियों को मूर्तियों की सुरक्षा में सहायता करने के लिए सक्रिय रूप से योजनाएं बनानी चाहिए।
DIPADIH BALRAMPUR – में इस प्रकार, सरकार, सुरक्षा एजेंसियाँ, और समाज मिलकर मूर्तियों की सुरक्षा में योगदान कर सकते हैं, ताकि हमारी सांस्कृतिक धरोहर सुरक्षित रहे।