CHHATH PUJA 2023 – त्योहार तो सभी सैकड़ों-हजारों साल पुराने हैं। लोगों की आस्था भी सभी में है। फिर छठ को ही लोक आस्था का पर्व क्यों कहा जाता है। इसका कारण जानने के लिए बहुत दूर नहीं जाना है। बस छठ के कुछ प्रसादों के नाम देखिए- सुधनी (लेसर येम), गागर नींबू, काली ईख, केराव। बांस की बनी टोकरी या सूप में नदी या तालाब किनारे सूर्य को समर्पित होने वाला ये प्रसाद आपको शायद ही बाजार या सुपरमार्केट में दिखाई दे। छठ के घाट पर जाएंगे तो आपको दर्जनों भूले-बिसरे देसी फल और कंद नजर आ जाएंगे।CHHATH PUJA 2023 – ये फल और कंद कुछ दशक पहले तक हमारे दैनिक भोजन का अहम हिस्सा हुआ करते थे। लेकिन बाजारवाद के प्रभाव ने एप्प्ल-ऑरेंज जेनरेशन को इन देसी सुपरफूड्स से दूर कर दिया। CHHATH PUJA 2023 – खैर, नहाय-खाय के साथ आज से छठ की पूजा की शुरुआत हो गई है। अगले तीन दिनों तक लोक आस्था का यह महापर्व पूरे हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस दौरान यदि आप छठ घाटों की सैर करें तो आपको तमाम ऐसी चीजें देखने को मिलेंगी, जिन्हें पहचानना शायद आज की पीढ़ी के लिए मुश्किल भरा काम हो सकता है। इसलिए आज सेहतनामा कॉलम में हम बात करेंगे छठ के प्रसाद की। खासतौर से देसी फलों, कंदों और उनके हैल्थ बेनिफिट्स की।
CHHATH PUJA 2023 – कैसे बनती है प्रसाद ‘ खीर’ –
छठ पूजा की एक खासियत यह भी है कि इसमें उन्हीं चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जो गांव-घर में प्राकृतिक रूप से मौजूद और आसानी से उपलब्ध हैं। बाकी त्योहारों के मुकाबले छठ आज भी बाजारवाद से कोसों दूर नजर आता है।छठ के दूसरे दिन यानी खरने को खीर का प्रसाद बनाया जाता है। लेकिन ये खीर चीनी से नहीं बनाई जाती। यह गन्ने के रस, गुड़ और चावल से बनी स्पेशल रसियाव खीर होती है। यह सफेद चीनी वाली खीर के मुकाबले सेहत के लिए कहीं ज्यादा मुफीद है।
छठ के प्रसाद में इस्तेमाल होती केवल प्रकृतिक मिठास
सैकड़ों-हजारों साल पहले जब पूर्वांचल के गांवों में छठ की शुरुआत हुई, तब सफेद चीनी का चलन नहीं था। लोग मीठे के लिए प्राकृतिक रूप से उपलब्ध मिठास पर ही निर्भर थे।आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश बन गया है। साथ ही आज की तारीख में यहां 10 करोड़ डायबिटीज के पेशेंट भी हैं।
दूसरी ओर, छठ के प्रसाद में आज भी मीठे के लिए सफेद शुगर का इस्तेमाल नहीं होता है। इसकी जगह गुड़ और गन्ने के रस का प्रयोग किया जाता है। साथ ही मैदे की जगह साधारण आटा, फैंसी आयातित फलों की जगह देसी कंद-मूल का इस्तेमाल होता है। यही चीजें छठ को लोक आस्था का महापर्व बनाती हैं। यह पर्व सादगी के साथ सेहत को भी सुरक्षित रखने का संदेश देता है।
गुड़ अपने आप में एक नेचुरल डिटॉक्सिफाइंग एजेंट है। गर्म तासीर का गुड़ सर्दी के मौसम में पाचनतंत्र, इम्यूनिटी और ब्लड प्रेशर के लिए काफी फायदेमंद बताया गया है। अगर मीठा खाना ही पड़े तो यह सफेद चीनी का सस्ता, सुलभ और हेल्दी विकल्प हो सकता है।
CHHATH PUJA 2023 – पोषक तत्वों से युक्त छठ प्रसाद –
सुथनी- इसमें 0% फैट होता है। साथ ही यह फाइबर और प्रोटीन से भरपूर है। ठंड के दिनों में लगने वाली भूख और क्रेविंग को कंट्रोल करने में कारगर है। इसे उबालकर नमक-हल्के मसाले या दूध के साथ भी खा सकते हैं।
- कच्ची हल्दी- इसमें कुरकुमिन पाया जाता है, जो जॉइंट पेन के लिए रामबाण माना गया है। कच्ची हल्दी में रंग नहीं मिलाया जाता। इस वजह से यह ज्यादा हेल्दी होता है। मांसपेशियों में खिंचाव हो तो कच्ची हल्दी खाने की सलाह दी जाती है।
- सिंघाड़ा– इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होता है। बदलते मौसम में बीमारियों से बचाता है। इसका आटा भी फायदेमंद। डायबिटीज और यूरिन प्रॉब्लम में कारगर।
- केराव– एक बार भी केराव या कुशी केराव खा लिया -जाए तो पूरे साल पेट के कीड़ों से बचाव होता है। इसमें मौजूद मैंगनीज और फोलेट पेट की प्राकृतिक सफाई करते हैं। इसे सब्जी, छोले बनाकर या भिगोकर कच्चा भी खाया जा सकता है।
गागर नींबू- इसमें मौजूद विटामिन-सी बदलते मौसम में इम्यूनिटी को बूस्ट करते हैं। गागर नींबू के जवे काफी बड़े होते हैं। यह छोटे नींबू की अपेक्षा काफी मीठा होता है। इसे नमक के साथ सीधे खाया जा सकता है। - गन्ना– पोटैशियम, आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम से भरपूर। हड्डियों और दांत के लिए फायदेमंद होता है। इसके रस से कब्ज की समस्या दूर होती है।
आयुर्वेद के विशेषज्ञ एवं दिल्ली नगर निगम के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आर पी पाराशर बताते हैं कि बदलते मौसम में शरीर की जरूरतें भी बदलती हैं। ऐसे में खानपान में भी बदलाव जरूरी हो जाता है। हमारे पूर्वजों ने त्योहारों के माध्यम से बदलते मौसम में जरूरी कंद-मूल को खाना अनिवार्य किया। छठ के प्रसाद में चढ़ने वाले कंद-मूल के साथ भी ऐसा ही है। ये पूरी वैज्ञानिक प्रक्रिया है।
ये कंद-मूल शरीर का शुद्धिकरण करते हैं, रोगों से लड़ने की ताकत देते हैं। ये बाजार में नहीं बिकते या इनका प्रचार नहीं होता तो इसका मतलब यह नहीं कि ये सेहत के लिए फायदेमंद नही हैं।
CHHATH PUJA 2023 – छठ का प्रमुख प्रसाद ‘ठेकुआ’ –
छठ के प्रसाद का जिक्र हो और ठेकुआ की बात न की जाए, यह कैसे हो सकता है। डाइटीशियन इसे सर्दियों का सुपरफूड बताते हैं। पारंपरिक तरीके से बना ठेकुआ आटा, गुड़, घी, अदरक, नारियल और सूखे मेवे से तैयार किया जाता है।
ठेकुआ बनाने में अमूमन लोहे की कड़ाही का इस्तेमाल होता है, जिसकी वजह से यह आयरन से भरपूर होता है। सर्दियों में पूरे परिवार की आयरन की कमी इससे दूर की जा सकती है।
साथ ही ठेकुआ में फैट काफी कम होता है। इसमें मौजूद फाइबर वजन कंट्रोल करने में कारगर है।
नहाय-खान के दिन लौकी की सब्जी, खरने में गुड़ और गन्ने के रस का रसियाव खीर। घाट पर देसी कंद-मूल का प्रसाद और पूजा के बाद खाली पेट कसैला केराव खाकर पारन। लोक आस्था का यह पर्व संयम के साथ सेहत की रक्षा का भी संदेश देता है।
फिटनेस फ्रीक होने का मतलब घर में लाखों रुपए खर्च करके जिम बनाना, महंगे इम्पोर्टेड फ्रूट और प्रोटीन पाउडर खाना नहीं होता। गांव-देहात में मिलने वाली देसी प्राकृतिक चीजों के सहारे प्रकृति के साथ-साथ सेहत का भी ख्याल रखा जा सकता है। सेहत को तवज्जो देने वाली लाइफ स्टाइल की शुरुआत करने की सोच रहे हैं तो इस बार एक बार छठ घाट का चक्कर लगा आइए। आस्था के साथ प्रेरणा और राह दोनों मिलेगी।
Apna ambikapur ……
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