CG VYAPAM – छत्तीसगढ़ व्यापम परीक्षाओं में परीक्षार्थियों की कम उपस्थिति, संसाधनों की बर्बादी पर गंभीर प्रश्न… आईए जानते हैं सक्षम पाठक के इस विशेष लेख में।

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CG VYAPAM – छत्तीसगढ़ व्यापम परीक्षाओं में परीक्षार्थियों की कम उपस्थिति, संसाधनों की बर्बादी पर गंभीर प्रश्न… आईए जानते हैं सक्षम पाठक के इस विशेष लेख में।

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CG VYAPAM – द्वारा आयोजित परीक्षाओं में अभ्यर्थियों की नगण्य उपस्थिति एक गहरी चिंता का विषय बन चुकी है। सरकार ने परीक्षार्थियों के लिए पंजीकरण शुल्क पूर्णतः निःशुल्क कर दिया, ताकि अधिक से अधिक युवा इन परीक्षाओं में सम्मिलित हो सकें और अपने भविष्य को सँवार सकें। परंतु परिणाम इसके विपरीत देखने को मिल रहे हैं—पंजीकरण तो लाखों में होता है, लेकिन परीक्षा देने के लिए उपस्थिति मात्र 15 से 30 प्रतिशत तक ही सिमट जाती है। कुछ परीक्षाओं में यह संख्या 40 से 70 प्रतिशत तक पहुँचती है, लेकिन यह भी संतोषजनक नहीं कही जा सकती।

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(विशेष लेख – सक्षम पाठक, Msc फॉरेंसिक साइंस गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर)

CG VYAPAM – परीक्षा प्रक्रिया में भारी मात्रा में श्रम, धन और प्रशासनिक तंत्र का होता है उपयोग –

CG VYAPAM

CG VYAPAM – यह प्रवृत्ति केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि राज्य के संसाधनों की खुली बर्बादी और सरकारी नीतियों की प्रभावशीलता पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न है। परीक्षा प्रक्रिया में भारी मात्रा में श्रम, धन और प्रशासनिक तंत्र का उपयोग होता है। प्रश्न पत्रों की छपाई, परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था, निगरानी के लिए नियुक्त अधिकारी, सुरक्षा इंतजाम, उत्तर पुस्तिकाओं की जांच—ये सभी कार्य सरकार के संसाधनों से संचालित होते हैं। परंतु जब परीक्षार्थी परीक्षा देने ही नहीं आते, तो यह सम्पूर्ण प्रक्रिया निरर्थक सिद्ध हो जाती है।

CG VYAPAM – क्या कारण है कि इतने बड़े स्तर पर अभ्यर्थी परीक्षा से विमुख हो रहे हैं? –

इतना ही नहीं, यह प्रवृत्ति उन अभ्यर्थियों के साथ अन्याय भी है, जो वास्तव में मेहनत कर परीक्षा देना चाहते हैं, परंतु संसाधनों की कमी और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण अवसर से वंचित रह जाते हैं। यह स्थिति न केवल सरकार के प्रयासों की अवहेलना है, बल्कि लाखों युवाओं के भविष्य के प्रति बेरुखी और असंवेदनशीलता को भी उजागर करती है।

क्या कारण है कि इतने बड़े स्तर पर अभ्यर्थी परीक्षा से विमुख हो रहे हैं? क्या सरकारी नौकरियों में सीमित अवसर उनकी उम्मीदें तोड़ रहे हैं? क्या परीक्षा प्रणाली इतनी जटिल और अव्यवहारिक हो गई है कि अभ्यर्थी इसे लेकर उदासीन हो गए हैं? या फिर परीक्षा केवल एक औपचारिकता बनकर रह गई है, जहाँ पंजीकरण कर देना पर्याप्त समझा जाता है, भले ही परीक्षा में सम्मिलित न हुआ जाए?

CG VYAPAM – सरकार को मंथन करने की आवश्यकता –

सरकार को इस विषय पर गंभीर मंथन करना होगा। परीक्षा केवल एक सरकारी प्रक्रिया नहीं, बल्कि लाखों युवाओं के भविष्य का आधार होती है। संसाधनों की बर्बादी और परीक्षार्थियों की उदासीनता की यह प्रवृत्ति यदि यूँ ही चलती रही, तो यह न केवल राज्य के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी, बल्कि शिक्षा प्रणाली और सरकारी नौकरियों की विश्वसनीयता को भी ठेस पहुँचाएगी। यह समय है जब इस विषय पर गहरी चिंता व्यक्त की जाए, ताकि सरकार और समाज दोनों इस गिरते हुए रुझान को रोकने के लिए जागरूक हों।

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