AMBIKAPUR – आइये जानते हैं अम्बिकापुर की सड़कें और यहां की खूबसूरती के बारे में, विशेष लेख अमित प्रेम द्वारा।
(विशेष लेख – अमित प्रेम)
अम्बिकापुर छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा जिले में स्थित लगभग 2-2.5 लाख की आबादी वाला एक नगर है। अम्बिकापुर शहर 2 लाख की आबादी वाले शहर में पूरे भारत में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 3 बार पहले नम्बर पर रह चुका है। और पूरे भारत में अम्बिकापुर ही एक मात्र ऐसा शहर है जहाँ सबसे पहला “गार्बेज कैफे” खुला है। जहाँ आप कचरा देकर भोजन प्राप्त कर सकते हैं। यह पूरे जिले का मुख्यालय भी है। इसके आसपास घने जंगल देखने को मिलते हैं। इसका नाम माँ महामाया के अम्बिका नाम से लेकर ही अम्बिकापुर पड़ा है।
AMBIKAPUR – अंबिकापुर में स्थित मां महामाया मंदिर –

माँ महामाया मंदिर AMBIKAPUR के पूर्वी दिशा में पहाड़ पर स्थित है। हालांकि अभी यह स्थान आम जगह जैसा समतल है। जहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है। माना जाता है कि माँ महामाया के दर्शन मात्र से ही लोगों की इक्षा पूर्ति हो जाती है। सच्चे मन से माँगी गई हर मन्नत माँ महामाया पूरी करती हैं। पुरानी मान्यताओं के अनुसार माँ महामाया का धड़ यहाँ इस मंदिर में स्थित है और माँ का सिर रतनपुर माँ महामाया मंदिर में स्थित है।
दोनों जगहों पर चैत्र व शारदीय नवरात्रि में खूब भीड़ होती हैं जहाँ देशभर के साथ-साथ विदेश के श्रद्धालु जन भी माता के दर्शन हेतु आते हैं। एक और मान्यता है कि अगर माँ महामाया रतनपुर का दर्शन कर फिर माँ महामाया मन्दिर अम्बिकापुर का दर्शन अगर कोई एक ही दिन (24 घण्टे के अंदर) में कर लेता है तो वह बहुत ही स्वभाग्यशाली माना जाता है। क्योंकि माँ महामाया का इससे पूर्ण दर्शन माना जाता है। ऐसा अद्भुत पूर्ण दर्शन बहुत कम लोग ही कर पाते हैं।
AMBIKAPUR – मां महामाया पहाड़ पर स्थित गणपति धाम –
माँ महामाया मंदिर AMBIKAPUR के पूर्वी दिशा में मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर एक पहाड़ स्थित है जिसे माँ की बगिया या ऑक्सीजन पार्क कहा जाता था। किंतु अब उसका नाम बदलकर गणपति धाम रख दिया गया है। क्योंकि उस पहाड़ को यहाँ के आमजन हाथी पत्थल भी कहते हैं। हाथी जैसे बड़े-बड़े पत्थर होने के कारण इसका नाम हाथी पत्थल पड़ा था। और हाथी गणेश जी का ही रूप है जिस कारण इसका नाम 2024 में गणपति धाम पड़ा।
इसी धाम में एक पार्क स्थिति है जहाँ से पूरे अम्बिकापुर की खूबसूरती देखते ही बनती है। शाम और रात में या दीपावली की रात को AMBIKAPUR का नज़ारा यहाँ से देखने योग्य होता है। इस पहाड़ में ही ऊपर में एक शिव मंदिर और एक गणेश जी का मंदिर भी स्थित है।
AMBIKAPUR – शहर के अंदर जाती सड़कें –
पहाड़ी क्षेत्र से अगर हम नीचे उतरते हैं तो हमें एक भीड़भाड़ भरा शहर दिखता है। माँ महामाया प्रवेश द्वार होते हुए आप महामाया चौक पहुँचेंगे। जिसके दाएँ तरफ स्कूल रोड, गुदरी बाजार, हनुमान मंदिर होते हुए बंगाली चौक पहुँचता है। और बाएँ तरफ जयस्तंभ चौक, राजा पैलेस, जिला अस्पताल, राम मंदिर स्थित है। महामाया चौक से सीधे शहर की ओर बढ़ेंगे तो संगम चौक जो कि शहर के बाजार का केंद्र है। जिसके दाएँ तरफ ब्रम्ह रोड होते हुए पुराना बस स्टैंड, पोस्ट ऑफिस, जेल पड़ता है। बाएँ तरफ गुदरी जहाँ हर मौसम में हर मौसम की सब्जियाँ मिलती हैं।
AMBIKAPUR – रेलवे स्टेशन की ओर जाती अंबिकापुर की सड़क –
संगम चौक से आगे बढ़ेंगे तो बीचो-बीच घड़ी चौक स्थित है। जिससे लगभग 50 कदम की दूरी में पश्चिम दिशा की ओर एक और चौक है जिसे गाँधी चौक कहते हैं। यह पूरे शहर का केंद्र बिंदु है। गाँधी चौक और घड़ी चौक के बीच में रोड के आमने-सामने गाँधी स्टेडियम और कलाकेंद्र मैदान स्थित है। जिससे बाएं तरफ जाने पर न्यू बस स्टेशन, बिलासपुर चौक और दाएँ तरफ जाने पर प्रतापपुर चौक, मेडिन ड्राइव पड़ता है। प्रतापपुर चौक से प्रतापपुर रोड की ओर जायेंगे तो उधर वाटर पार्क, मियूजियम, RTO ऑफिस पड़ता है। और अगर गाँधी चौक से सीधे जायेंगे तो बनारस चौक, पीजी कॉलेज होते हुए रेल्वे स्टेशन की ओर मनेन्द्रगढ़ रोड जाता है।
AMBIKAPUR – अंबिकापुर शहर की खूबसूरती कविता के जरिए –
ये हो गई अम्बिकापुर की सामान्य सड़कों की जानकारी। पर इन जगहों पर क्या देखने मिलेगा वह अमित द्वारा एक कविता के माध्यम से बताया गया है।
माँ की बगिया से, अम्बिकापुर की शाम देखना।
मंदिर में बैठना, कितना मिलता है आराम देखना।
गुदरी के ठेले हों, या कलाकेन्द्र के मेले हों।
संग किसी के आओ आप या फिर अकेले हो।
चौपाटी के भीड़-भड़ाके, संगम चौक का जाम देखना।
माँ की बगिया से, अम्बिकापुर की शाम देखना।
वाटर पार्क के संग मियूजिअम भी घूम लेना।
भगवा की रैली में और शिवरात्रि में झूम लेना।
पास जयस्तंभ चौक के प्रभु श्री राम देखना।
माँ की बगिया से, अम्बिकापुर की शाम देखना।
कोई कुछ मांगता नहीं, सबके दिल में प्रेम भरा है।
अगल बगल देखिये, चारों ओर वन हरा है।
राजा के पैलेस संग, यहाँ के लोगों का काम देखना।
बेजुबान डॉग शेल्टर और गौ आश्रय धाम देखना।
गाँधी स्टेडियम में बैठे, मिलते अपने यार हैं।
टपरियों के चाय में, भरा लोगों का प्यार है।
कोई एक जगह नहीं, तुम शहर तमाम देखना।
माँ की बगिया से, अम्बिकापुर की शाम देखना।
माँ की बगिया से, अम्बिकापुर की शाम देखना।
मंदिर में बैठना, कितना मिलता है आराम देखना।
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