AMBIKAPUR – शिक्षा बनाम विलासिता: क्या विद्यार्थी असली सीख से दूर हो रहे हैं? आइए गहराई से जानते हैं अतुल गुप्ता के इस विशेष लेख में।

Spread the love

AMBIKAPUR – शिक्षा बनाम विलासिता: क्या विद्यार्थी असली सीख से दूर हो रहे हैं? आइए गहराई से जानते हैं अतुल गुप्ता के इस विशेष लेख में।

Instagram Page Follow Us
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

(विशेष लेख – अतुल गुप्ता, पुलिस मितान,साइबर वॉलंटियर, AMBIKAPUR सरगुजा छत्तीसगढ़)

अतुल गुप्ता जो की पुलिस मितान में सक्रिय हैं और अपने विचारो को व्यक्त करते हुए कहते हैं कि विद्यालय केवल पुस्तकों और परीक्षाओं का स्थल नहीं, बल्कि जीवन की बुनियादी शिक्षा का मंदिर है। यह वह स्थान है, जहाँ विद्यार्थी न केवल ज्ञान अर्जित करते हैं, बल्कि अपने व्यक्तित्व को आकार भी देते हैं। किंतु, वर्तमान समय में विद्यालयों और महाविद्यालयों में विद्यार्थियों के आचरण में एक विचित्र परिवर्तन देखने को मिल रहा है। अनुशासन, शिष्टता और विनम्रता के स्थान पर दिखावे की संस्कृति और विलासिता की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।

FOLLOW OUR WHATSAPP CHANNEL

AMBIKAPUR – दिखावे की दुनिया और संवेदनहीनता –

कक्षा में एक ओर वे विद्यार्थी होते हैं, जो अपनी शिक्षा के प्रति संजीदा रहते हैं, अपने उज्ज्वल भविष्य की कल्पना करते हैं और सीमित संसाधनों में भी आत्मसम्मान के साथ आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं। वहीं दूसरी ओर, कुछ विद्यार्थी ऐसे होते हैं, जिनका ध्यान पढ़ाई से अधिक फैशन, महंगे मोबाइल, गाड़ियों और भव्य जीवनशैली के प्रदर्शन में रहता है।

विद्यालय की सुबह जब सभी छात्र-छात्राएँ अपने-अपने गंतव्य की ओर बढ़ते हैं, तब किसी की जेब में नया स्मार्टफोन होता है, तो किसी के पास साधारण कीपैड वाला फोन भी नहीं। कोई ब्रांडेड कपड़े पहनकर अपनी संपन्नता का प्रदर्शन करता है, तो कोई सालों पुराने यूनिफॉर्म को संवारकर आत्मसम्मान बनाए रखने का प्रयास करता है। एक वर्ग ऐसा होता है, जो अपने स्टेटस और स्टाइल को सर्वोपरि मानता है, जबकि उसी कक्षा में बैठा कोई अन्य विद्यार्थी पुरानी किताबों में अपना भविष्य खोजने का प्रयास करता है।

AMBIKAPUR – गरीब छात्र की आपबीती –

आइए, इस दृश्य को एक वास्तविकता से जोड़कर देखें। कक्षा में बैठा एक छात्र, जिसे हम नाम से नहीं, बल्कि उसकी आँखों में छिपी कहानियों से पहचान सकते हैं। वह उन मित्रों को देखता है, जो महंगे होटलों में पार्टियाँ मनाते हैं, जन्मदिन पर हजारों रुपये के गिफ्ट्स देते हैं और हर सप्ताहांत किसी नए शौक की पूर्ति में व्यस्त रहते हैं। वही छात्र जब अपने घर लौटता है, तो माँ की थकी हुई आँखें और पिता के श्रम से दरकते हाथ उसे याद दिलाते हैं कि उसकी प्राथमिकता केवल पढ़ाई होनी चाहिए।

AMBIKAPUR

यह छात्र विद्यालय में होने वाली बातों को चुपचाप देखता है, उन हँसते-खेलते, ऐशोआराम में डूबे सहपाठियों को महसूस करता है और फिर खुद को इस चमक-दमक से अलग एक छोटे से कोने में समेट लेता है। उसकी इच्छाएँ उसे झकझोरती हैं, पर वह जानता है कि उसके परिवार की परिस्थितियाँ वैसी नहीं हैं। कभी-कभी वह सोचता है कि काश, उसके मित्रों को यह अहसास हो पाता कि हर कोई जीवन में इतनी विलासिता का अधिकार नहीं रखता।

AMBIKAPUR – संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का भाव –

विद्यालय और महाविद्यालय में शिक्षण केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह नैतिकता और संवेदनशीलता का भी पाठ होना चाहिए। धन और संसाधनों का प्रदर्शन केवल असमानता को बढ़ावा देता है और समाज में संवेदनशीलता की भावना को क्षीण करता है। आवश्यकता इस बात की है कि विद्यार्थियों में परस्पर सहयोग, सादगी और समानता की भावना विकसित हो।

यदि एक संपन्न छात्र अपने किसी जरूरतमंद सहपाठी की मदद करता है, तो वह न केवल एक मित्र की तरह व्यवहार करता है, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी समझता है। अनुशासन केवल कक्षा में चुप रहने या नियमों का पालन करने तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह हमारे चरित्र और व्यवहार में भी परिलक्षित होना चाहिए।

AMBIKAPUR – एक नई सोच की ओर –

समाज में वास्तविक बदलाव तब आएगा, जब विद्यार्थी अपने चारों ओर फैली विषमताओं को समझेंगे, जब वे अपने सहपाठियों की स्थिति को महसूस करेंगे और जब वे यह जानेंगे कि दिखावा अस्थायी है, पर सच्ची संवेदनशीलता और सद्भावना जीवनभर बनी रहती है।

AMBIKAPUR – विद्यालय का हर छात्र एक समान नहीं होता, परंतु यदि हम एक-दूसरे की भावनाओं को समझें, एक-दूसरे का सम्मान करें और दिखावे की संस्कृति से दूर रहकर एक बेहतर इंसान बनने का प्रयास करें, तो निस्संदेह हम एक सशक्त और समरस समाज की ओर बढ़ सकते हैं।

यदि आप भी छ.ग, सरगुजा या युवाओं से जुड़े प्रेरणास्त्रोत जैसे दिलचस्प लेख हमारे साइट पर करवाना चहते है अपलोड तो करें मेल – apnaambikapur@gmail.com

इन विषयों से संबंधित अपनी इंस्टाग्राम आईडी के साथ भेजें लेख – Click here

Also read – राइट टू एजुकेशन के तहत छत्तीसगढ़ में सत्र 2025-26 के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू… इस प्रकार पेरेंट्स करा सकते हैं अपने बच्चे का पंजीयन।