BABA RAMDEV – बाबा रामदेव और बालकृष्ण पहुंचे शीर्ष अदालत …भ्रामक विज्ञापन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार।
सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी कि मंगलवार, 2 अप्रैल को पतंजलि आयुर्वेद के को- फाउंडर रामदेव और मैनेजिंग डायरेक्टर बालकृष्ण को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कंपनी के भ्रामक विज्ञापनों पर उचित हलफनामा दाखिल नहीं करने की ”पूर्ण अवज्ञा” (आदेश का अपमान) पर खरी खोंटी सुनाई।
BABA RAMDEV – 10 अप्रैल को फिर होंगे कोर्ट में उपस्थित –
कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 अप्रैल को अदालत में उपस्थित होने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र की भी खिंचाई की। कोर्ट ने केंद्र द्वारा कार्रवाई नहीं करने पर कहा, वे आंखें बंद करके बैठे हैं। बेंच ने कहा, ”हम आश्चर्यचकित हैं कि सरकार ने अपनी आंखें बंद रखने का फैसला क्यों किया।”
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने अपने निर्देशों का पालन करने में विफल रहने के लिए पतंजलि की कड़ी आलोचना की थी और रामदेव और बालकृष्ण को आज अदालत के सामने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने 27 फरवरी को कंपनी को भ्रामक जानकारी देने वाले अपनी दवाओं के सभी इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट विज्ञापनों को तत्काल प्रभाव से बंद करने का निर्देश दिया था।
BABA RAMDEV – क्या है मामला ?
यह मामला पिछले साल नवंबर में शुरू हुआ था। जहां सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पतंजलि आयुर्वेद को अपनी दवाओं के बारे में विज्ञापनों में “झूठे” और “भ्रामक” दावे करने के खिलाफ चेतावनी दी थी।
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IMA ने कोर्ट में कई विज्ञापनों का हवाला दिया था जिनमें कथित तौर पर एलोपैथी और डॉक्टरों को खराब तौर पर पेश किया गया था। साथ ही IMA ने कहा था कि आम जनता को गुमराह करने के लिए आयुर्वेदिक दवाओं के उत्पादन में लगी कंपनियों द्वारा भी “अपमानजनक” बयान दिए गए हैं।
BABA RAMDEV – योग के मामले को लेकर कोर्ट में सराहा –
इस दौरान जस्टिस अमानुल्ला ने यह भी कहा कि बाबा रामदेव ने योग के मामले में बहुत अच्छा काम किया है। लेकिन एलोपैथी दवाओं को लेकर ऐसे दावे करना ठीक नहीं है। वहीं IMA के वकील ने कहा कि वह अपना विज्ञापन करें, लेकिन उसमें एलोपैथी चिकित्सा पद्धति की बेवजह आलोचना नहीं होनी चाहिए। केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस हिमा कोहली ने केंद्र सरकार की भी खिंचाई की। उन्होंने कहा कि हमें हैरानी है कि आखिर इस मामले में केंद्र सरकार ने अपनी आंखें क्यों बंद रखीं।