ENGLISH GIRL SURAJPUR – आइये जानते हैं सूरजपुर के गांव गणेशपुर की इंग्लिश गर्ल ‘आंचल यादव’ के बारे में।
ENGLISH GIRL SURAJPUR – इन दिनों काफी चर्चा में बनी हुई हैं सूरजपुर जिले के एक छोटे से गांव गणेशपुर की इंग्लिश गर्ल आंचल यादव। आंचल यादव मध्यम वर्गीय परिवार से आती हैं। मगर आंचल इसे कमज़ोरी या कमज़ोर होने का माध्यम नही मानती हैं। उनका कहना है कि गरीब या मध्यम वर्गीय परिवार का होना गुनाह या गलती नही है अपितु गरीब जीवनपर्यंत रह जाना कमज़ोरी है।
जीवन मे संघर्ष करके सदैव आगे बढ़ने की सोंच रखने वाली आंचल यादव के बारे में आसपास से इलाकों के साथ-साथ अन्य जगहों पर भी काफी चर्चा में हैं।
ENGLISH GIRL SURAJPUR – कृषि परिवार से आती हैं आंचल यादव –
ENGLISH GIRL SURAJPUR – गणेशपुर गांव की एक शानदार मिसाल हैं। उनके परिवार का कृषि पर निर्भर होना उनके लिए गर्व की बात है। उनका यह दृढ़ विश्वास है कि उनका परिवार जो किसानी पर आधारित है, वह उनकी शान है, न कि कमजोरी।
ENGLISH GIRL SURAJPUR – आंचल का सोचने का तरीका अनोखा है। उन्होंने वहाँ की लोगों की सोच और दृष्टिकोण को बदलने का प्रयास किया है।
वह इस बात पर गर्व करती हैं कि वह किसान की बेटी हैं और इसे अपनी ताकत मानती हैं। उनकी निर्भीकता और सहजता की भावना दूसरों को भी प्रेरित करती है।
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आंचल की सोच में उनके परिवार का सम्मान और संघर्ष का इतिहास छिपा होता है। उनका यह मानना है कि किसानी जीवन व्यक्तिगत तौर पर महत्त्वपूर्ण है और यह उन्हें उनकी मूल शक्ति और संघर्ष की ओर ले जाता है।
उन्होंने व्यापारिकीकरण और शहरीकरण की तुलना में गांवों के महत्त्व को समझा है। वह अपने परिवार और समुदाय के साथ मिलकर विकास की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए सक्रिय रहती हैं। आंचल की यह अनूठी सोच और दृढ़ संकल्प दिखाते हैं कि वह विश्वास रखती हैं कि गांवों का समाज और कृषि विकास का मूल तत्व है।
उनका उदाहरण दूसरों को भी प्रेरित करता है कि स्थानीय स्तर पर भी विकास संभव है और यह विकास गांवों की संस्कृति और विरासत को समेट सकता है।
आंचल यादव की यह निर्भीक सोच और साहस न केवल उनके परिवार बल्कि गांव के समुदाय के लिए भी प्रेरणा स्रोत हैं। उनका संदेश है कि स्थानीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने में शर्म नहीं आनी चाहिए, बल्कि यह गर्व की बात होनी चाहिए।
इस प्रकार, आंचल यादव ने अपने सोचने का तरीका बदलकर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का संकल्प दिखाया है।
ENGLISH GIRL SURAJPUR – गांव के रूढ़िवादी सोंच से आंचल के निकलने तक का सफर –
ENGLISH GIRL SURAJPUR – आंचल यादव की यह कहानी सामाजिक परिवेश में प्रतिबद्धता और उनकी प्रेरणादायक प्रतिभा का परिचायक है।
उन्होंने अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना किया है, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। कोरोना काल में भी जब समाज में रूढ़िवाद और समाजिक दबावों की स्थिति बढ़ी थी, वह ने अपने शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता और समाज को बदलने की दृष्टि से बाज नहीं मारी।
उनकी इच्छा के बावजूद कि उन्हें समाजिक दबावों का नहीं मानना है, वे गांव में जागरूकता फैलाने में लगे रहे। वह न केवल खुद पढ़ी, बल्कि गांव की अन्य लड़कियों को भी शिक्षा प्रदान करने में अपने योगदान को साझा किया।
उनकी साहसिकता और संघर्ष के बावजूद, वह ने अपने मानसिक स्थिति को सामाजिक परिवेश में उचितता और सम्मान के साथ संरक्षित रखने के लिए प्रयास किया।
आंचल की यह पहल न केवल उनके लिए बल्कि उनके गांव और समाज के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। इससे सामाजिक बदलाव की प्रेरणा मिलती है और उम्मीद की किरणें जगाई जाती हैं। उनकी सोच और पहल से, वे गांव के अन्य लड़कियों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गई हैं। आंचल ने सिर्फ अपनी पढ़ाई में ही नहीं बल्कि समाज में बदलाव लाने की दिशा में भी कार्य किया है।
उनकी यह दृष्टि और सोच एक नया संदेश देती है कि सामाजिक समस्याओं का समाधान सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि समूहीय स्तर पर भी संभव है।
आंचल यादव की यह कहानी हमें सिखाती है कि सामाजिक प्रतिष्ठा, समाजिक दबाव या रूढ़िवाद भले ही हमारे जीवन में माध्यम बन सकते हैं, लेकिन इससे हमारी मानसिकता और निर्णय प्रभावित नहीं होने चाहिए।
इसके बजाय, हमें अपने सपनों और मानवीय मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करके समाज में पूरी तरह से बदलाव लाने की कोशिश करनी चाहिए।
ENGLISH GIRL SURAJPUR – आंचल यादव का इंग्लिश गर्ल बनने का जुनून –
ENGLISH GIRL SURAJPUR – आंचल ने इंग्लिश गर्ल बनने का संघर्ष कोरोना काल मे ही शुरू कर दिया था। आंचल यादव ने बताया कि वह पढ़ाई में काफी अच्छी नहीं थी उन्होंने पढ़ाई के दौरान कई प्रकार की परेशानियों का भी सामना किया।
पढ़ाई में कई परीक्षा में वह फेल भी हो गई, बावजूद उसके इंग्लिश गर्ल बनने का जुनून उन पर चढ़ा रहा एवं अपने साथ-साथ गांव के अन्य लड़कियों को भी इंग्लिश बोलने के लिए प्रोत्साहित करती रही एवं उन्हें सिखाती रही।
आंचल यादव उन सभी आम लड़कियों में है लेकिन उनके जुनून, उनके आत्मनिर्भर बनने का सपना संघर्ष, सभी उनके साथ रहा जिससे कि वह गांव की पहली इंग्लिश बोलने वाली लड़की बनी जिससे उन्हें सभी ‘इंग्लिश गर्ल’ कहने लगे।
ENGLISH GIRL SURAJPUR – इन माध्यमो से इंग्लिश सीखने की तैयारी में लगीं आंचल –
आंचल यादव ने बताया कि इंग्लिश सीखने से पहले उन्होंने कई तरह के माध्यम खोजे जिससे वह अच्छी इंग्लिश बोलने लगे एवं वार्तालाप भी सही से कर सके। इसके लिए उन्होंने बताया कि वह यूट्यूब का सहारा लेकर सिखती थीं। परंतु कई बार उन्हें उस डीमोटिवेशन भी मिली परंतु उन्होंने हार नहीं मानी। इंग्लिश सीखने के इस दौर में उन्होंने आखिरकार लोगों के दिए ताने एवं उन्हें नीचा दिखाने के सामने इंग्लिश सीखकर हजारों लड़के-लड़कियों को इंग्लिश की शिक्षा दे रही है।
उन्होंने बताया कि घर के सभी काम-काज करने के बात रात को अलग से समय निकालकर पहले अपने सोशल मीडिया पर स्पीक “विथ विलेज गर्ल” पर वीडियो डालकर बिना किसी को बताए आगे बढ़ने लगी तब आसपास के लोगों ने कई प्रकार के ताने दिए एवं नीचा दिखाने का प्रयास किया। वहीं घरवालों ने भी आंचल का साथ देना छोड़ दिया। परंतु जितने नीचे दिखाने वाले थे उतने ही इन्हें ऊपर उठाने वाले लोग भी मिले जिन्होंने इन्हें प्रोत्साहित किया और कई ऐसे लड़के लड़कियां भी हैं जो आज इनको अपने प्रेरणा स्रोत मानते हैं एवं इन्हें देखकर, सीखकर स्वयं भी आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं।
ENGLISH GIRL SURAJPUR – ये दो लोगों के काफी प्रोत्साहित किया –
आंचल यादव ने बताया कि उनके संघर्ष में उनके नाना एवं उनकी मासी का किरदार काफी अहम रहा है। सीखने एवं सिखाने के सफर में नाना का विश्वास और मासी का साथ उनके हर राह में सफलता की ओर अग्रसर रहने हेतु प्रोत्साहित किये। गांव के लोगों द्वारा नीचा दिखाए जाने के बीच उनके नाना , मासी का किरदार काफी असरदार रहा है।
ENGLISH GIRL SURAJPUR – ये चार चीज़ों पर आंचल ने किया फोकस –
ENGLISH GIRL SURAJPUR – आंचल ने बताया कि उन्हें सीखने के लिए ये चार चीजों पर पूरी तरह जोर दिया। जिसमें (सुनना, लिखना, पढ़ना, समझना) शामिल हैं।
ग्रामर को सीखने के लिए यूट्यूब एवं किताबों का सहारा लिया। साथ ही सोशल मीडिया पर आए लोगों के प्रतिक्रियाओं ने भी हौसला बढ़ाया जिससे आंचल को अधिक हौसला मिला।
ENGLISH GIRL SURAJPUR – आंचल ने बताया कि उनके गांव में पुरस्कार समारोह भी होता है परंतु उनकी इसमें कोई खास दिलचस्पी नहीं। उनका हुनर ही उन्हें सबसे अलग करता है। उनका कहना है कि जो मैं कर सकती हूं वो बाकी भी कर सकते हैं बस शुरुआत की ज़रूरत है।