THINTHINI PATTHAR DARIMA – आइये जानते हैं अम्बिकापुर से कुछ किमी दूरी पर स्थित दरिमा के असाधारण पत्थरों के समूह ‘ठिनठिनी पत्थर’ के बारे में।

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THINTHINI PATTHAR DARIMA – आइये जानते हैं अम्बिकापुर से कुछ किमी दूरी पर स्थित दरिमा के असाधारण पत्थरों का समूह ‘ठिनठिनी पत्थर’ के बारे में।

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THINTHINI PATTHAR – सुनहरी धरती पर खोया एक छोटा सा गांव, ‘ठिनठिनी पत्थर छिंदकालो’, जो अपने विचित्र स्वर से मशहूर है। यह छोटी सी गांव अंबिकापुर से 22 किलोमीटर दूर है, और इसका नाम दरिमा हवाई पट्टी के समीप स्थित एक अद्वितीय पत्थर के नाम पर रखा गया है। यहाँ का यह पत्थर, जो अन्य पत्थरों से भिन्न है, जब किसी भी वस्तु से टकराता है, तो उसमें एक अनूठी मधुर ध्वनि का गूंज सुनाई देता है।

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THINTHINI PATTHAR

‘THINTHINI PATTHAR – छिंदकालो’ गांव में इस पत्थर का स्थान बहुत ही विशेष माना जाता है। यह वास्तव में एक रहस्यमय चट्टान है, जो एक अनूठी संवाददाता की भूमिका निभाती है। जब यह चट्टान इतर पत्थरों से टकराती है, तो वहाँ से निकलने वाली मधुर स्वरों की गूंज सुनकर यह लगता है कि इसमें कुछ अद्भुत छिपा हुआ है।

THINTHINI PATTHAR – लोग समान पत्थरों के टीले पर सजाकर रखते हैं, और यह उनके लिए एक आकर्षण का केंद्र बन गया है। जब कोई इसे ठोकता है, तो यहाँ से निकलने वाली ‘ठन-ठन’ की आवाज़ अद्भुतता का हिस्सा बन जाती है। जैसे ही कोई इसे छूता है, वहाँ से निकलने वाली आवाज़ की गुणवत्ता और ध्वनि की माधुर्यता उसे अचरज में डाल देती है।

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इस ‘ठिनठिनी पत्थर छिंदकालो’ की चट्टान का आकार भी अनोखा है। यह बेलनाकार चट्टान करीब दो मीटर तीन पाँच सेंटीमीटर लंबी होती है, और इसकी चौड़ाई 95 सेंटीमीटर होती है। इसकी इस अनूठी आकृति ने इसे गांव वालों के लिए एक अद्वितीय और मनमोहक चीज़ बना दिया है।

गांव की इस अनोखी चट्टान ने स्थानीय लोगों के मनोरंजन का एक नया स्रोत प्रदान किया है। यहाँ के लोग अक्सर इसे देखने और सुनने के लिए यहाँ आते हैं, और खुशी से इसे ठोकते हैं ताकि वे उस विशेष मधुर ध्वनि का आनंद ले सकें।
‘ठिनठिनी पत्थर छिंदकालो’ गांव में अपनी अद्भुतता और अनूठापन से प्रसिद्ध हो गया है..

THINTHINI PATTHAR – का लोग करते हैं पूजा –

जिले के दरिमा हवाई अड्डे के बाउंड्री से लगे छिंदकालो गांव में सैकडों पत्थर का समूह है. यहां तक कि आस-पास में भी जमीन के नीचे भी काफी पत्थरों का भंडार है. लेकिन जमीन के ऊपर जिन सैकडों पत्थरों का समूह है, उन पत्थरों के समूह के बीच करीब 6 फिट का एक रहस्यमयी पत्थर है.

काले पत्थरों के बीच धुंधले सफेद रंग के इस पत्थर को गांव के लोग देवता मानते हैं, और इसकी पूजा भी करते हैं. अन्य पत्थरों से अलग दिखने और आवाज करने वाले इस पत्थर के अद्भुत व्यवहार की वजह कोई नहीं जानता है, इसलिए लोग इसे भगवान समझ कर पूजा-अर्चना करते हैं. गांव वालों का मानना है कि यहां पर भगवान वास करते हैं इसलिए उस पत्थर के समूह के बीच कई मंदिर भी स्थापित कर दिए गए हैं.

THINTHINI PATTHAR – से धातु की आवाज़ –

THINTHINI PATTHAR

जिस पत्थर की गांव के लोग पूजा-अर्चना करते हैं, वो पत्थरों के समूह के बीच कुछ अलग ढंग से रखा आसाधारण पत्थर है. ये पत्थर धातु की तरह आवाज करता है. इस पत्थर के चारों तरफ अलग-अलग धातु की आवाज आती है. कहीं पत्थर के किसी हिस्से पर दूसरे छोटे पत्थर पर वार करने से उसमें स्कूल की घंटी की तरह आवाज आती है, कहीं पर पीतल के बर्तन के तरह, तो कहीं पर कांस्य के बर्तन की तरह आवाज आती है.

पत्थर के किसी हिस्से में मोटे बर्तन की आवाज आती है, तो कुछ ऐसा भी हिस्सा है जहां से पतली आवाज निकलती है. बता दें कि पत्थर किसी धातु की तरह आवाज क्यों निकालता है, ये आज भी रहस्य बना हुआ है.

THINTHINI PATTHAR – विशेषज्ञों के शोध अनुसार-

इस रहस्मयी पत्थर को लेकर रिटायर्ड शिक्षक श्रीश मिश्रा शोध कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस तरह की जो चीज है, वो अम्बिकापुर में ठिनठिनी पत्थर है. जब ये चीजें गांव वालों की समझ में नहीं आती, तब वो उसको किसी न किसी कहानी से जोड़ देते हैं या किसी देवी-देवताओं से जोड़ देते हैं.

इसके पीछे मकसद एक सामान्य जानकारी ही देना रहता है कि कोई पूछेगा तो क्या हम क्या बताएंगे. ऐसे में कोई बुजुर्ग या गांव का कोई होशियार आदमी होता है तो वो कोई न कोई कहानी गढ़ देता है. ये चीज लगभग हर जगह लागू होती है.

उन्होंने बताया कि यदि इसे साइंटिफिक अप्रोच से देखें तो इस तरह के पत्थर छत्तीसगढ़ में सिर्फ यहीं है. बाकी जो ठोंकने पर आवाज आती है तो इस तरह के पत्थर साउथ इंडिया में कई जगह मिलते हैं, पूरी दुनिया में हैं. वास्तव में ये ज्वालामुखी से निकला जो लावा होता है, वो होते हैं. इसमें जो आवाज आती है, वो आवाज आने का कारण हाई डेंसिटी है.

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