RAMGARH PAHADI SURGUJA – आइये जानते हैं अम्बिकापुर से लगभग 50 किमी की दूरी पर स्थित रामगढ़ पहाड़ी के बारे में।
RAMGARH PAHADI SURGUJA – प्रकृति का अनोखा उदाहरण छःग के प्रत्येक हिस्से में इतिहास छिपा है। गुफाओं से लेकर पहाड़ों तक मे अतीत चीख-चीखकर आज भी अपने होने का एहसास दिलाता है। इन्ही ऐतिहासिक जगहों में शामिल है उदयपुर विकासखंड के पास और अम्बिकापुर से लगभग 50 किमी की दूरी पर स्थित रामगढ़ पहाड़ी। ऊंचे पहाड़ और घने जंगलों के बीच कई गुफाएं जो कि ऐतिहासिक, धार्मिक यहां तक कि साहित्यिक क्षेत्र से भी जुड़े हुए है.
RAMGARH PAHADI SURGUJA- ऐतिहासिक स्थलों में सबसे पुराना है। इसे रामगिरि भी कहा जाता है। रामगढ भगवान राम एवं महाकवि कालीदास से सम्बन्धित होने के कारण सोध का केन्द्र बना हुआ है। एक प्राचीन मान्यता के अनुसार भगवान राम भाइ ल्क्ष्मण और पत्नी सीता के साथ वनवास काल मे निवास किए थे। यहीं पर राम के तापस वेस के कारण जोगी मारा, सीता के नाम पर सीता बेंगरा एवं ल्क्ष्मण के नाम पर ल्क्ष्मण गुफा भी स्थित है। कहते हैं, यह महाकवि कालिदास के मेघदूत में वर्णित वही रामगिरि पर्वत है, जहाँ उन्होंने बैठकर अपनी कृति मेघदूत की रचना की थी। यहाँ पर विश्व की प्राचीनतम गुफा नाट्य शाला स्थित है। इसे रामगढ़ नाट्य शाला कहा जाता है।
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रामगढ़ पहाड़ी की माने तो यह समुद्र तल से लगभग 3,202 फीट की ऊंचाई पर है। इसके ऊर्ध्व भाग में दो अभिलेख हैं। छेनी से पत्थर में उकेरी गई इस लेख की लिपि पाली और कुछ खरोष्ठी से मिलती जुलती है। इसे स्क्रिप्ट विशेषज्ञों द्वारा सर्वसम्मत शिफ्ट स्क्रिप्ट माना गया है। इसमें एक रहस्यमय कमल की आकृति है।
RAMGARH PAHADI SURGUJA – के स्तर पर गुफाएं –
पहाड़ी के निचले भाग में कई रहस्यमयी गुफाएं हैं जो इतिहास की ओर संकेत करती हैं।
RAMGARH PAHADI SURGUJA – सीताबेंगरा गुफा –
या सीता के रसोई घर के रूप में इस गुफा को जाना जाता है, यह पहाड़ी का सबसे दिलचस्प पौराणिक प्राचीन गुफा है।”सीताबेंगरा”की उल्लेखनीय कलात्मक गुफाएं रामगढ़ पर्वत के निचले शिखर पर स्थित हैं। कहा जाता है की भगवान राम ने अपने वनवास का कुछ समय रामगढ़ में बिताया था उसी दौरान सीताजी ने जिस गुफा में शरण ली थी, वह “सीताबेंगरा” के नाम से जानी जाने लगी। RAMGARH PAHADI SURGUJA की गुफाएं कला प्रेमियों के लिए एक लोकप्रिय तीर्थस्थल हैं। सीता बेंगरा गुफा की समतल चट्टान पर दो पंक्तियों में गुप्तकालीन शिलालेख है, जिसे ब्राह्मी लिपि में लिखी गई है इसे आज तक नहीं समझा गया है इसके बारे में भारतीय पुरातत्व विभाग शोध कर रहा है।
इस गुफा की लंबाई लगभग 14 मीटर और चौड़ाई 4.2 मीटर है। ऊंचाई आगे 2 मीटर और पीछे 1 मीटर है। गुफा के दीवार में सीता जी का अन्न कोठी है गुफा के बाहर कई गोलाकार सीढ़ियाँ और रॉक-कट पोज़ हैं और गुफा के दाहिने छोर पर मानव पैरों के निशान बने हुए हैं। सीता बेंगरा के बाहर लाइन काटा गया है जिसे लोगों द्वारा लक्ष्मण रेखा कहा जाता है।
सीता बेंगरा की संरचना के कारण, यह ज्ञात होता है, तथा लोगों का मानना है कि इसे एक बार एक थिएटर के रूप में उपयोग किया गया था। पूरी बात काफी कलात्मक है। गुफा के बाहर लगभग 50-60 लोगों के लिए अर्धचंद्राकार आसन है। गुफा के प्रवेश द्वार को फर्श में दो छेदों से चिह्नित किया गया है। हर साल आषाढ़ के पहले दिन, इस थिएटर में विविध सांस्कृतिक गतिविधियाँ आयोजित की जाती थी, जिनका उपयोग पर्दे में इस्तेमाल होने वाले लकड़ी के खंभों को फंसाने के लिए किया जाता था। इस गुफा को एशिया की अति प्राचीनतम नाट्यशाला माना जाता है।
RAMGARH PAHADI SURGUJA – जोगीमारा गुफा –
जोगीमारा गुफा, जो सीताबेंगरा के पास स्थित है, इस गुफा की लंबाई 15 फीट, चौड़ाई 12 फीट और ऊंचाई 9 फीट है। इसकी दीवारों के अंदर चिकनी वज्र का प्लास्टर किया गया है। गुफा की छत आश्चर्यजनक चमकदार कलाकृति से ढकी हुई है। इन चित्रों में तोरण, अक्षर-फूल, पशु-पक्षी, नर-देव-दानव, योद्धा और हाथी आदि अन्य चीजें हैं। इस गुफा के चारों ओर पेंटिंग के केंद्र में बैठी पांच युवतियों के चित्र है। इस गुफा में ब्राह्मी लिपि की कुछ पंक्तियाँ उकेरी गई हैं।
RAMGARH PAHADI SURGUJA – हाथीपोल (सुरंग) –
रामगढ़ के उत्तरी छोर के निचले भाग में एक विशाल सुरंग है जो लगभग 39 मीटर लंबी, 17 मीटर ऊंची और मुंह पर समान चौड़ाई की है। इसे हाथीपोल कहा जाता है। इसकी आंतरिक ऊंचाई इतनी है कि एक हाथी आसानी से इसमें से गुजर सकता है। इसे हाथी पोल के नाम से जाना जाता है। पहाड़ से पानी का रिसाव होता है और सुरंग के अंदर एक कुंड में पानी जमा होता है इस कुंड को सीता कुंड के नाम से जानते है। कवि कालिदास द्वारा मेघदूत की पहली पंक्ति में सीता कुंड का वर्णन किया गया है, “यक्षश्रे जनकातन्य स्नान पुण्योदकेशु।” इस कुंड में अविश्वसनीय रूप से शुद्ध और ठंडा पानी होता है। ।
RAMGARH PAHADI SURGUJA – रामगढ़ मेला का आयोजन –
रामगढ़ में चैत्र रामनवमी के अवसर पर भव्य एवं विशाल मेला का आयोजन किया जाता है और रामनवमी के अवसर पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु राम जानकी मंदिर का दर्शन करने पहुँचते हैं। दर्शन के साथ-साथ मेला का आनंद लेते हैं, पहाड़ियों के नीचे लगा यह मेला बहुत ही जोरदार होता है। यदि आप राम जानकी मंदिर के दर्शन के साथ मेला का आनंद लेना चाहते है तो आपको रामनवमीं में जाना चाहिए।
RAMGARH PAHADI SURGUJA – कालिदास से जुड़ी कहानी –
एक अन्य कथा के अनुसार, जब राजा भोज ने प्रसिद्ध कवि कालिदास को उज्जयिनी से बाहर निकाला, तो उन्होंने यहां शरण ली और इन पहाड़ियों पर बैठकर महाकाव्य मेघदूत लिखा। इस स्थान पर “कालिदासम” जमीनी स्तर से लगभग 10 फीट ऊपर उकेरा हुआ मिला है।
RAMGARH PAHADI SURGUJA – रामगढ़ पहाड़ी में स्थित मन्दिर-
रामगढ़ पहाड़ी में देखने के लिए कई जगह है साथ ही वहाँ के मंदिर में पूजा भी किया जाता है। चलिए जानते हैं सभी मंदिर के बारे में जानते हैं:
RAMGARH PAHADI SURGUJA – राम जानकी मंदिर –
रामगिरी पहाड़ी के ऊपर हरे-भरे जंगलों के बीच में राम जानकी मंदिर स्थित है, राम जानकी मंदिर तक पहुचंने के लिए लगभग 631 सीढ़ियों को चढ़ कर जाना होगा। राम मंदिर में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की मूर्तियाँ है। मूर्ति के बारे में बताया जाता है की यह 2000 साल से भी अधिक पुरानी है लोगों की मान्यता है की वहाँ जो की भक्त जाते है उनकी मनोकामनाए पूर्ण होती है।
RAMGARH PAHADI SURGUJA – दुर्गा गुफा-
दुर्गा गुफा भी पहाड़ी के ऊपर है गुफा के अंदर दुर्गा मंदिर, शिवलिंग है और राम, सीता, लक्ष्मण और भी बहुत सारे भगवान का फोटो भी लगा है। दुर्गा गुफा के पास से हरे-भरे जंगल का दृश्य देखने लायक होता है वहाँ से आप उदयपुर, अंबिकापुर शहर भी देख सकते है अगर आप वहाँ जाते है तो कुछ देरी खड़े होकर आप-पास का दृश्य देखें और प्राकृतिक का लुप्त उठाये।
RAMGARH PAHADI SURGUJA – चन्दन गुफा-
यह दुर्गा गुफा से कुछ ही दुरी पर चन्दन गुफा है गुफा के बाहर दो कुंड है जिसमें का पानी कभी नहीं सूखता है और गुफा के अंदर में एक चेम्बर है जहाँ चन्दन पाया जाता है वहाँ के पुजारी अंदर जाते है चन्दन निकालते है। गुफा के अंदर चन्दन होने के कारण पूरा गुफा सुगन्धित रहता है गुफा के अंदर प्राचीन शिवलिंग भी है।
RAMGARH PAHADI SURGUJA – इस प्रकार पहुंचे –
रामगढ़ उदयपुर से 3 किलोमीटर और अंबिकापुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर अंबिकापुर- बिलासपुर मुख्य सड़क पर स्थित है। अंबिकापुर से उदयपुर के लिए अच्छी बस सेवा है। उदयपुर से पैदल या मोटर वाहन द्वारा रामगढ़ पहुँचा जा सकता है।
~ निकटतम रेलवे स्टेशन – अंबिकापुर निकटतम रेलवे स्टेशन हैं।
~ निकटतम हवाई अड्डा – स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा जो लगभग 350 किलोमीटर दूर है।
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