KAILASH GUFA JASHPUR – क्या है कैलाश गुफा का अम्बिकापुर से नाता ? आइये जानते हैं पर्यटन एवं धार्मिक स्थल कैलाश गुफा के बारे में।

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KAILASH GUFA JASHPUR – क्या है कैलाश गुफा अम्बिकापुर से नाता ? आइये जानते हैं पर्यटन एवं धार्मिक स्थल कैलाश गुफा के बारे में।

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KAILASH GUFA JASHPUR – प्रकृति से सम्पन्न छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की छटा पूरे प्रदेशभर में चर्चा का विषय है। मानो, प्रक्रति ने बड़े ही बारीकी और ख़ूबसूरती के साथ इसे नवाज़ा है। यहाँ कई सारे प्राकृतिक और धार्मिक पर्यटन स्थल हैं जो पूरे प्रदेश में प्रकृति के लिए शुमार हैं। उन्ही में से एक है जशपुर में स्थित “कैलाश गुफा” जो शिव भक्तों के लिए एक प्रमुख स्थल है। यहाँ हर वर्ष सावन में भारी संख्याँ में शिव भक्त आते हैं और गुफ़ा के अन्दर स्थित शिव लिंग में जल चढाते हैं। भगवान शिव अर्थात जहाँ कैलाश गुफा है उसे संत गहिरा गुरु की तपोभूमि भी कहते हैं।

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KAILASH GUFA JASHPUR

KAILASH GUFA JASHPUR – की प्राकृतिक छटा-

सरगुजा के अम्बिकापुर शहर से लगभग 80 कि.मी दूरी पर और कैलाश गुफा छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में बगीचा तहसील के अंतर्गत ग़ायबुड़ा गाँव से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों के बीच स्थित हैं। ईब नदी का सहायक नदी मैनी जो कि यहां अधिक शोभायमान है। जिसके किनारे कैलाश गुफा स्थित है। इसे बाबा धाम के नाम से भी जानते हैं। यह 100 मीटर लंबी गुफा एक पहाड़ी में स्थित है। कैलाश गुफा में पहुँचने से पहले आपको नंदी, शिव लिंग और हाथी की मूर्ति दिखाई देगी। गुफा के अन्दर प्रवेश करने से पहले जूते और चमड़े से बने चीजों को उतारना पड़ेगा।

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KAILASH GUFA JASHPUR – का ऐतिहासिक जुड़ाव –

KAILASH GUFA JASHPUR

अगर हम कैलाश गुफा के इतिहास पर नज़र डालें तो इस गुफा की खोज का श्रेय संत रामेश्वर गहिरा गुरु जी को जाता है जिन्होंने ही वर्ष 1985 में इसकी खोज की और कई वर्षों तक तपस्या किया। इसके बाद गहिरा गुरु जी के मित्रों ने इस गुफा को आने जाने लायक बनाया ताकि भक्त पूजा अर्चना करने पहुँच सकें। ऐसा माना जाता है की कैलाश गुफा में पहले बाघों का निवास हुआ करता था इसलिए आज भी गुफा के पास में ही बाघों की मूर्ति बनाकर रखा गया है।

KAILASH GUFA JASHPUR – मे औषधि युक्त वतावरण व वृक्ष –

कैलाश गुफा की ओर जाने पर भारतीय व्यंजनों में सबसे खास मसाला “तेजपत्ते” का वृक्ष है। जो कि औषधि रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त यहां अन्य कई प्रकार के अन्य जड़ीबूटियों से युक्त पेड़-पौधे हैं। यहां वृक्षों की शृंखलाएं हैं औषधीय वृक्ष हैं, जल है साथ ही पूर्ण वातावरण भी औषधीय प्रतीत होता है। यहां पहुचने पर न केवल प्राकृतिक सौंदर्यता दिखाई पड़ती है अपितु ताजगी का भाव महसूस भी होता है।

KAILASH GUFA JASHPUR – के अंदर का प्राकृतिक दृश्य –

कैलाश गुफा में प्रवेश करते ही चट्टानों से रिसता पानी आपके उपर गिरने को बेताब होंगे जो आपकी पूरी थकान और प्यास बुझा देंगे। इसके अलावा सामने हरे-भरे घने जंगल दिखाई देंगे जो हवा के झोकों से हिलते हुए ऐसे प्रतीत होते हैं मानों शिवजी के भक्ति में लीन हैं। आप जैसे ही गुफा में प्रवेश करेंगे आप एक बड़े से हॉल में पहुंच जायेंगे और भी सामने शिव लिंग हैं जहाँ आप जलाभिषेक कर सकते हैं।अगरबत्ती की खुशबू और भक्तों के द्वारा बजाते घंटी आपको शिव की भक्ति में लीन होने के लिए मजबूर कर देंगे।

KAILASH GUFA JASHPUR – में संत गहिरा गुरु तपोभूमि –

शिव जी के दर्शन करने के बाद कुछ ही दूरी पर ऐसे व्यक्ति का एहसास मिलता है जिसने तथाकथित अत्यंत पिछड़े स्थान में जन-जागृति की अलख जगाई। जिन्होंने भारतीय संस्कृति को बचाए रखा , जिन्होंने देवभाषा, संस्कृति को निरंतर प्रोत्साहित किया। ‘संत रामेश्वर गहिरा गुरु’ जिनके नाम पर सरगुजा सम्भाग का एकमात्र संबसे बड़ा विश्वविद्यालय ‘संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय है। जो कि सरगुजा जिले के ‘अम्बिकापुर’ में है। कैलाश गुफा में संत गहिरा गुरु जी की मूर्ति है जो ध्यान अवस्था में है। इसी गुफा में संत रामेश्वर गहिरा गुरु ने कई वर्षो तक तपस्या किया था इसलिए इसे संत गहिरा गुरु की तपोभूमि भी कहते हैं।

KAILASH GUFA JASHPUR – समुद्र मंथन का मूर्ति द्वारा दर्शाया गया दृश्य –

KAILASH GUFA JASHPUR

कैलाश गुफा के समीप मूर्ति द्वारा समुद्रमंथन को दर्शाया गया है। जहां मन्दराचल पर्वत जिसे वासुकी नाग से मथा जा रहा है। इतनी खूबसूरती एवं बारीकी से दर्शाया गया है मानो यहां समुद्र मंथन हो रहा हो ऐसा प्रतीत होता है। जहां शिव हलाहल विष को अपने गले मे समाहित किये थे। बनाये गए मूर्तियों में मन्दराचल पर्वत है जिसके चारो-ओर यसुकी नाग द्वारा लिपटे हुए दिखाई दे रहे हैं। जहां एक घण्टा भी टंगा हुआ है जो कि काफी बड़ा है।

KAILASH GUFA JASHPUR – में सुंदर अलकनंदा जलप्रपात –

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कैलाश गुफा के समीप ही अलकनंदा जलप्रपात है जो पर्यटकों और शिव भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। कैलाश गुफा के पास इस जलप्रपात की ऊँचाई लगभग 30 फीट है। देखकर ऐसा लगता है मानो चट्टानों को चीर कर यह जलप्रपात निकला है। झरने के आसपास बड़े पेड़ों की लताओं और जड़ें बहुत ही खूबसूरत दृश्य का निर्माण करते हैं। गर्मी के दिनों में यह जलप्रपात पर्यटकों को काफी आराम देता है।

KAILASH GUFA JASHPUR – में प्रचुर मात्रा में बॉक्साइट –

KAILASH GUFA JASHPUR

कैलाश गुफा की ओर अन्य दिशाओं में घूमने निकले यात्रियों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा की दृष्टि से अहाते बनाये गए हैं। वहीं बड़े-बड़े चट्टनों के रूप में और टुकड़ों मे बॉक्साइट भी दिखाई देते हैं।

KAILASH GUFA JASHPUR – यात्रा करने इस मार्ग से जाएं-

जशपुर के बगीचा बस स्टैंड से कैलाश गुफा बगीचा ब्लॉक से लगभग 29 किलोमीटर। वहीं जशपुर से 114 किलोमीटर और अंबिकापुर से 80 किमी दूर है।
वहीं रांची रेलवे स्टेशन मार्ग और बनारस, लखनऊ, आदि हवाई अड्डे के मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है।

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